गांव का लड़का रोहन अपनी साइकिल के साथ छोटे-छोटे सपनों को लेकर बड़ा हुआ। उसकी मां एक बुनकर थी और पिता एक किसान। घर की हालत तंग थी, लेकिन दिल में एक हिम्मत और आंखों में चमक हमेशा रहती थी।
रोहन का सबसे बड़ा सपना था शहर में जाकर एक बड़ा इंजीनियर बनना। पर सपने देखना आसान था, उन्हें पूरा करना मुश्किल। गांव में लोग कहते, "इसका क्या होगा? पढ़ाई-लिखाई छोड़, खेत संभाल!" लेकिन उसकी मां हमेशा कहती, "सपने देखने वालों को दुनिया कभी नहीं रोक सकती। बस मेहनत करते रहो।"
रोहन ने दिन-रात मेहनत की। खेत में काम करके, मां के साथ करघे पर बैठकर कपड़े बुनते हुए और रात में लालटेन की हल्की रोशनी में किताबों से दोस्ती करते हुए उसने खुद को कभी थकने नहीं दिया।
एक दिन गांव के स्कूल में एक बड़ा अधिकारी आया। उसने बच्चों से पूछा, "बड़े होकर क्या बनना चाहते हो?" सभी ने अलग-अलग जवाब दिए, लेकिन रोहन का जवाब सबसे खास था। उसने कहा, "मैं इंजीनियर बनकर ऐसा पुल बनाना चाहता हूं, जिससे हमारे गांव को शहर से जोड़ सकूं।"
अधिकारी ने उसकी बात सुनी और उसकी आंखों में सपना देखा। उसने रोहन को आगे पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दी। पहली बार रोहन शहर गया। बड़ी इमारतें, चमचमाती गाड़ियां और आधुनिक स्कूल देखकर उसकी आंखें चमक उठीं, लेकिन अंदर कहीं डर भी था।
शहर की दुनिया रोहन के लिए बिल्कुल नई थी। वहां के बच्चे स्मार्टफोन पर पढ़ाई करते थे, जबकि उसके पास सिर्फ एक पुरानी किताब थी। लेकिन रोहन ने अपने गांव की मिट्टी से सीखी मेहनत का इस्तेमाल किया। उसने किताबें पढ़ीं, प्रयोग किए, और हर परीक्षा में अव्वल आता गया।
चार साल बाद, रोहन ने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। जब वह गांव लौटा, तो लोग उसकी सफलता पर गर्व महसूस कर रहे थे। अब वह वही पुल बनाने वाला था, जिसका सपना उसने बचपन में देखा था।
काम शुरू हुआ। रोहन ने अपने गांव वालों को भी इस परियोजना का हिस्सा बनाया। कुछ महीनों की मेहनत के बाद, पुल बनकर तैयार हो गया। उस दिन पूरा गांव इकट्ठा हुआ। गांव और शहर को जोड़ने वाला वह पुल न केवल एक संरचना थी, बल्कि सपनों और हिम्मत का प्रतीक बन गया था।
रोहन ने वहां खड़े होकर कहा, "यह पुल केवल ईंट और सीमेंट से नहीं बना, यह मेरी मां की मेहनत, मेरे पिता की दुआ और आप सभी के विश्वास से बना है। सपने देखिए और उन्हें सच करने के लिए मेहनत कीजिए। दुनिया आपको सलाम करेगी।"
गांव के लोग तालियों की गूंज में उस पुल पर चलने लगे। रोहन ने साबित कर दिया कि सपनों का रास्ता भले ही मुश्किल हो, लेकिन वह नामुमकिन नहीं।
यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर इंसान सच्ची मेहनत और लगन से कुछ हासिल करना चाहे, तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती।
Post a Comment