भूतिया हवेली और एक दोस्ती

 


गाँव के किनारे एक पुरानी हवेली खड़ी थी, जिसे सभी लोग भूतिया मानते थे। हवेली के बारे में तरह-तरह की कहानियाँ थीं। लोग कहते थे कि वहाँ रात को अजीब आवाजें आती थीं, खिड़कियों से किसी की परछाइयाँ दिखाई देती थीं, और अक्सर वहाँ कोई देखे जाने वाला नहीं था। बच्चों में यह एक डरावनी कहानी बन चुकी थी, और बड़े लोग हमेशा इस हवेली के पास जाने से बचते थे।

लेकिन एक दिन दो दोस्त, रजत और अर्जुन, जो हमेशा नई-नई चीज़ें करने के शौक़ीन थे, यह तय करते हैं कि वे उस हवेली का रहस्य जानने के लिए वहाँ जाएंगे। रजत ने कहा, "तुमसे ज्यादा डरपोक तो कोई नहीं हो, अर्जुन! अब देखना, इस बार हम उस हवेली में घुसकर सब सच्चाई जानेंगे।"

अर्जुन थोड़ी घबराहट में था, लेकिन रजत के साहस से वह भी हिम्मत जुटा कर उसके साथ जाने के लिए तैयार हो गया। दोनों ने रात के समय हवेली का रुख किया। हवा में एक अजीब सी खामोशी थी, और पूरी जगह घने अंधेरे में डूबी हुई थी। जैसे ही वे हवेली के गेट के पास पहुंचे, दरवाजा अपने आप खुल गया। यह दृश्य देखकर उनका दिल तेज़-तेज़ धड़कने लगा, लेकिन वे दोनों अंदर प्रवेश कर गए।

हवेली के अंदर अजीब सी चुप्प थी। दीवारों पर घास और मिट्टी का मोटा слой जमी हुई थी, और कुछ कमरे पूरी तरह से अंधेरे में डूबे हुए थे। वे धीरे-धीरे एक बड़े कमरे में पहुंचे, जहाँ एक पुरानी सी झूला पड़ी हुई थी, जो बिना किसी कारण के झूल रही थी। अर्जुन ने डरते हुए कहा, "यार, यह सब कुछ बहुत अजीब है, मुझे यहाँ से निकलना चाहिए।"

लेकिन रजत ने उसे सांत्वना दी, "डरो मत, कुछ नहीं होगा।" दोनों आगे बढ़े और अचानक कमरे में एक तेज़ आवाज आई। दोनों चौंक गए, लेकिन रजत ने सोचा कि शायद यह सिर्फ हवेली की पुरानी लकड़ी की आवाज़ हो। वे एक और कमरे में दाखिल हुए, और तभी उन्हें एक पुराना डायरी का बंडल मिला। रजत ने उसे खोला, और दोनों ने देखा कि वह डायरी किसी लड़की की थी, जो बहुत पहले इस हवेली में रहती थी।

डायरी में लिखा था कि यह हवेली एक बार एक प्रेम कहानी का गवाह थी। एक युवक और एक युवती की प्रेम कहानी थी, जिनके बीच बहुत बड़ी दूरियाँ थीं। लेकिन एक दिन युवक अचानक गायब हो गया और युवती को इस हवेली में छोड़ दिया गया। उसकी आत्मा यहीं बसी रही, और कहा जाता था कि उसकी आत्मा अब भी हवेली में भटकती है, अपने प्रेमी का इंतजार करती हुई।

तभी अचानक कमरे की लाइट झपकी, और दोनों दोस्तों ने एक लड़की की परछाई देखी। अर्जुन डर से कांपते हुए पीछे हटने लगा, लेकिन रजत ने उसे पकड़ लिया और कहा, "डरो मत, यह शायद उस लड़की की आत्मा है।"

इसके बाद दोनों ने उसी डायरी में पढ़ा कि आत्मा को शांति तब मिलती है जब वह अपने प्रेमी से मिलती है। रजत और अर्जुन ने फैसला किया कि वे उसकी आत्मा की मदद करेंगे। वे पूरी हवेली में ढूँढने लगे, और अंत में उन्हें उस प्रेमी का एक पुराना चिट्ठी मिला, जो हवेली के एक कोने में दबी हुई थी। चिट्ठी में लिखा था कि वह युवक वापस लौटने की योजना बना रहा था, लेकिन किस्मत ने उसे मौका नहीं दिया।

रजत और अर्जुन ने उस चिट्ठी को लड़की की समाधि पर रख दिया और प्रार्थना की। एक अजीब सी शांति हवेली में फैल गई। वे दोनों महसूस कर सकते थे कि अब हवेली का माहौल बदल चुका था। लड़की की आत्मा को शांति मिल चुकी थी, और हवेली अब उन दोनों के लिए एक पुरानी याद बन गई थी, न कि एक डरावनी जगह।

दोनों दोस्त, रजत और अर्जुन, हवेली से बाहर निकले और महसूस किया कि उनका डर गायब हो चुका था। उन्हें एक नई दोस्ती का एहसास हुआ, जो न केवल भूतिया हवेली से, बल्कि उस आत्मा की मदद से भी बनी थी।


Moral:

इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी डर से ज्यादा, हमारे भीतर की हिम्मत और साहस ही हमें किसी भी समस्या या डर को पार करने में मदद करती है। और, जब हम किसी की मदद करते हैं, तो हमें आंतरिक शांति मिलती है।

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