अजय हमेशा से ही एक बड़े शहर में जाने का सपना देखता था। उसे लगता था कि शहर में रहकर ही वह अपनी पहचान बना सकता है। उसके गांव वाले उसे समझाते रहते थे, "शहर की चमक-दमक में तुम अपनी असलियत खो दोगे।" लेकिन अजय को किसी की बातों पर यकीन नहीं था। उसे लगता था कि शहर में जाकर वह कुछ बड़ा करेगा, एक नाम कमाएगा।
अजय का सपना सच हुआ। उसने शहर के एक बड़े कॉलेज में दाखिला लिया और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत शुरू कर दी। वहां का जीवन बिल्कुल अलग था—भीड़, शोर, और दौड़-धूप। अजय ने जल्दी ही समझ लिया कि शहर में हर किसी के पास अपनी एक दौड़ है, और वह दौड़ने का एक हिस्सा बन गया था।
शहर की कठिनाइयाँ
अजय को पढ़ाई में तो दिक्कत नहीं आई, लेकिन शहर के वातावरण ने उसे मानसिक रूप से थका दिया। वह सुबह से लेकर रात तक काम में व्यस्त रहता, और कभी-कभी उसे यह महसूस होता कि वह अकेला हो गया है। शहर की चकाचौंध और बडी-बडी बिल्डिंग्स के बीच उसे अपनी असलियत का एहसास होने लगा। वह दिन-ब-दिन महसूस करता कि वह जो बनना चाहता था, वह बन नहीं पा रहा था।
वह अपने पुराने गांव के बारे में सोचता, जहां हर किसी के पास एक पहचान थी, जहां लोग एक-दूसरे के साथ थे। शहर में रहते हुए उसने न तो कोई दोस्त बनाया और न ही किसी से दिल से बात की। उसे लगा कि वह एक खोता हुआ इंसान बन गया है, जिसे हर कदम पर एक नए रास्ते की तलाश थी।
गांव की यादें
एक दिन अजय को घर जाने का मन हुआ। जब वह अपने गांव पहुंचा, तो उसे यह देखकर ताज्जुब हुआ कि गांव में सब कुछ वैसा ही था—सरल, शांत और सच्चाई से भरपूर। गांव के लोग पहले की तरह मिलनसार थे। अजय ने महसूस किया कि उस सरलता में कितनी शांति थी, जो वह शहर में कभी महसूस नहीं कर पाया।
उसने अपनी मां से पूछा, "मां, क्या आपको कभी शहर जाने का मन नहीं हुआ?"
मां मुस्कुराते हुए बोलीं, "बिलकुल, लेकिन हम जहां हैं, वहीं खुश हैं। यह जगह हमें अपनी असलियत को याद दिलाती है।"
नए दृष्टिकोण से जीवन
अजय ने देखा कि लोग गांव में छोटे-छोटे सुखों में खुश थे, जबकि शहर में वह हमेशा कुछ बड़ा पाने की होड़ में थे। उस दिन से अजय ने यह तय किया कि वह अब अपने जीवन में केवल दौड़ने की बजाय, अपनी खुशियों को तलाशेगा।
वह फिर से अपने गांव वापस लौट आया और वहां बच्चों को पढ़ाने लगा। उसने सोचा, "शहर में क्या पाया, क्या खोया, अब जो कुछ है वह यहीं, मेरे गांव में है।" वह गांव के विकास के लिए भी काम करने लगा, ताकि लोग वहां भी खुशहाल जीवन जी सकें।
संदेश
अजय की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन के असली सुख बाहर नहीं, बल्कि अपने अंदर और अपने आसपास होते हैं। कभी-कभी हमें दौड़ने की बजाय रुककर सोचना चाहिए कि हम सच में क्या चाहते हैं, क्योंकि असली खुशी हमेशा सरलता और सच्चाई में होती है।
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